कुफा शहर में एक औरत रहती थी जिसके घर की माली हालत बहुत ख़राब चल रही थी औरत ने अपने शौहर से कहा बेहतर होता के आप घर से बाहर निकल कर किसी दुसरे शहर में अपना रिज़्क़ तलाश करते
ये सुन कर शौहर घर से निकला और घुमता फिरता मुल्क शाम पहुंच गया और दिन रात मेहनत करने लगा, बडी मुशकिल से उसने तीन सौ दिनार जमा कर लिये, और उस पैसे से एक अच्छी नसल की ऊंटनी ख़रीद लिया
ऊंटनी ख़रीदने के बाद उसे पता चला के ऊंटनी बहुत अडियल है, ऊंटनी ने भी उस आदमी को एक दम परीशान कर रखा था, उस आदमी ने भी ग़ुस्से में आकर ये क़सम खा ली के कुफा जा कर इस ऊंटनी को एक दिनार में बेच दुंगा
क़सम तो वो खा चुका था बाद में जब उसका ग़ुस्सा ठंडा हुआ तो बडा परिशान हुआ, ये मैं ने क्या कर दिया
घर पहुंच कर बीवी को सारा माजरा कह सुनाया, बीवी ने जब ये सुना तो बोली परीशानी की कोई बात नही है आप एक काम करें ये जो अपने घर में एक बिल्ली है ज़रा उसे पकड कर लाएं
शौहर फौरन बिल्ली को ले कर हाज़िर हुआ, बीवी ने बिल्ली को लिया और ऊंटनी के गले में बांध दिया और बोली के बाज़ार जाओ और ये आवाज़ लगाओ के एक दिनार की ऊंटनी है और तीन सौ दिनार की बिल्ली लेकिन दोनो साथ में बिकेगी
शौहर बाज़ार गया और वही आवाज़ लगाया के एक दिनार की ऊंटनी है और तीन सौ दिनार की बिल्ली लेकिन दोनो साथ में बिकेगी
एक देहाती घुम फिर कर उस ऊंटनी को देख रहा था़ और कितनी अच्छी और ख़ुबसुरत ऊंटनी है काश तेरे गले में ये बिल्ली न होती, लेकन अब तुझे इस बिल्ली के साथ ही ख़रीदना पडेगा
इस तरह बीवी की अक़लमंदी से शौहर की क़सम भी पुरी हो गई और ऊंटनी की असल क़ीमत भी मिल गई
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